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1081. भट हरिबँस जी कौन थे ?

  • भट हरिबँस जी ने विलक्षण शैली में गुरू ज्योति की महिमा व महत्वता वर्णन करके उस अखण्ड ज्योति के प्रति अपनी आस्था प्रकट की है।

1082. भट हरिबँस जी का श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी की बाणी में क्या योगदान है ?

  • बाणी: कुल जोड़ 2

1083. श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी की बाणी में चार गुरूसिक्खों की बाणी है, उनके नाम क्या हैं ?

  • भाई मरदाना जी

  • बाबा सुंदर जी

  • भाई सत्ता जी

  • भाई बलवण्ड जी

1084. भाई मरदाना जी कौन थे ?

  • भाई मरदाना सिक्ख धर्म का प्रथम अनुयायी, नानक पातशाह के सच को पहचानने वाला और पूरी जिन्दगी साथ निभाने वाला गुरू का पूरा सूरा गुरसिक्ख, जो गुरू नानक देव जी के साथ उनकी सभी धार्मिक यात्राओं में साथ रहा था। गुरू जी गुरूबाणी का गायन करते थे, तब भाई मरदाना जी रबाब बजाते थे।

1085. भाई मरदाना जी का जन्म कब हुआ था ?

  • 1459 ईस्वी

1086 भाई मरदाना जी का जन्म कहाँ पर हुआ था ?

  • तलवँडी, पाकिस्तान

1087. भाई मरदाना जी के पिता जी का क्या नाम था ?

  • भाई बादरे जी

1088. भाई मरदाना जी की माता जी का क्या नाम था ?

  • माई लख्खो जी

1089. भाई गुरदास जी ने अपनी वारों में जो अकाल पुरखी रूहों का जिक्र किया है, उसमें दूसरा अकाल पुरखी रूप किसका है ?

  • भाई मरदाना जी (इक बाबा अकाल रूप, दूजा रबाबी मरदाना)

1090. भाई मरदाना जी का श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी की बाणी क्या योगदान है ?

  • श्री गुरू ग्रँथ साहिब जी में बिहागड़े की वार में तीन सलोक दर्ज हैं, जिनका शीर्षक है - सलोक मरदाना एक, मरदाना एक व मरदाना एक।

1091. बाबा सुन्दर जी कौन थे ?

  • बाबा सुंदर जी का सम्बन्ध गुरू अमरदास जी के परिवार से है। आप गुरू अमरदास जी के साहिबजादे बाबा मोहरी जी के पौत्र व भाई अनँद जी के पुत्र थे। इस तरह आप श्री गुरू अमरदास साहिब जी के पड़-पौत्र हुए।

1092. बाबा सुन्दर जी का श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी की बाणी में क्या योगदान है ?

  • बाबा सुंदर जी की बाणी "सदु" राग रामकली में श्री गुरू ग्रँथ साहिब जी के अँग 923 पर सुशोभित है।

1093. भाई बलवण्ड व भाई सत्ता जी कौन थे ?

  • गुरू घर के सुप्रसिद्ध कीर्तनकार थे। भाई मरदाना जी के बाद सिक्ख धर्म में इन दोनों को बेहद प्यार व सत्कार प्राप्त हुआ।

1094. भाई बलवण्ड व भाई सत्ता जी का श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी की बाणी में क्या योगदान है ?

  • इन दोनों महापुरूषों की बाणी की कुल 8 पउड़ियाँ हैं जिनमें से पाँच पउड़ियों की रचना राय बलवण्ड जी की है और तीन पउड़ियों के रचियता भाई सत्ता जी हैं। यह रचना रामकली राग में अंकित है।

1095. भाई बलवण्ड व भाई सत्ता जी पउड़ियों में क्या दर्शाया गया है ?

  • राय बलवण्ड जी की पउड़ियों में श्री गुरू नानक पातशाह द्वारा भाई लहिणा को गुरगद्दी देकर गुरू अंगद के रूप में स्थापित करना और श्री गुरू अंगद देव जी के समय सिक्खी के विकास के रूप का प्रकटाव है। भाई सत्ते द्वारा रचित पउड़ियों में श्री गुरू अंगद देव जी से लेकर पँचम पातशाह हजूर तक के काल के सफर को रूपमान किया गया है।

1096. श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी में कितने राग हैं ?

  • 31 राग

1097. श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी में 31 राग कौन कौन से हैं ?

  1. रागु सिरी रागु

  2. रागु माझ

  3. रागु गउड़ी

  4. रागु आसा

  5. रागु गूजरी

  6. रागु देवगंधारी

  7. रागु बिहागड़ा

  8. रागु वडहंसु

  9. रागु सोरठ

  10. रागु धनासरी

  11. रागु जैतसरी

  12. रागु टोडी

  13. रागु बैराड़ी

  14. रागु तिलंग

  15. रागु सूही

  16. रागु बिलावल

  17. रागु गोंड

  18. रागु रामकली

  19. रागु नट नाराइन

  20. रागु माली गउड़ा

  21. रागु मारू

  22. रागु तुखारी

  23. रागु केदारा

  24. रागु भैरउ

  25. रागु बसंत

  26. रागु सारंग

  27. रागु मलार

  28. रागु कानड़ा

  29. रागु कलिआण

  30. रागु प्रभाती

  31. रागु जैजावंती

1098. श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी का सबसे पहला राग कौन सा है ?

  • रागु सिरी रागु

1099. भारतीय परम्परा का सबसे प्राचीन राग कौन सा है ?

  • सिरी रागु

1100. श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी की बाणी में सिरी राग किस अंग से कितने अंग तक है ?

  • अंग 14 से अंग 93 तक

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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